Thursday, July 12, 2012

National Innovation Foundation India vs. Agastya Narain Shukla


बड़ी बुरी खबर है मेरे लिए – National Innovation Foundation India के लोग मुझसे बहुत ही ज्यादा परेशान हैं ! --- अब इसमें मेरे जेसा आदमी कर भी क्या सकता है , जब आप एक इन्नोवेटर को प्रॉब्लम मेकर बना लें  तो ! जिन 4 आविष्कारो को National Innovation Foundation India ने साफ़ साफ़ मना कर दिया था – पेटेंट के लायक नहीं हैं , उनको मेने खुद फ़ाइल किया और चारों ग्रांट हूए ! इक आठवी पास इंसान से और क्या उम्मीद की जाए ?
भारत में पहले तो ऐसा किसी ने प्रयास किया नहीं – और हूआ भी तो --- अन्धो में काना राजा वाला हाल है ! और कमाल की बात ये है की National Innovation Foundation India के लोग घबराते हैं मुझसे , ये NIFINDIA के ही लोगो ने बताया मुझको , वैसे मुझसे ज्यादा वो सब प्रोफ़ेसर अनिल गुप्ता जी से घबराते हैं – भय्या नोकरी और दाल रोटी बचानी है उनको – अपना क्या है – अपने को तो वैसे भी नहीं मिलती !




अब जिस संस्था में इस तरह से काम होता हो – हाँ जी – हाँ जी – यस सर – यस सर – वंहा मेरे जेसे ठीक को ठीक और गलत को गलत और वो भी साफ़ और कुछ ज्यादा ही स्पष्ट तरीके से कहने वाले को क्यूऊ पूंछेंगे ? पिछले कुछ सालो से National Innovation Foundation India ने कभी सुध नहीं ली हमारी , दिल्ली में रहता हूँ और दिल्ली के ही किसी भी कार्यक्रम में मुझे नहीं बुलाया जाता , जन्हा की मैं खुद अपनी जेब के पैसे खर्च करके उपलब्ध हो सकता हूँ ! ना जाने कितने प्रोटोटाइप बनाये मेने – पर आज तक इस मद में चवन्नी भी नहीं मिली ! 2009 जनवरी या फरवरी में TePP से DST की कमिटी ने मेरे तूथ्ब्रुष के लिए कुछ लाख रूपया पास किया था , अप्लाई किया था NIFINDIA ने ---- अब तक नहीं मिला --- इंतज़ार में हूँ !
पता नहीं मेरे 15 या 16 स्वीक्रत आविष्कार लिए निफ क्यूं मुझसे खफा है ? और कई तो उनमे सो काल्ड लाइफ सेविंग हैं !  अब हाँ जी – हाँ जी और यस सर – यस सर – करना अपने बस का तो है नहीं – और अगर आप इतिहास उठा कर देखें तो जो वास्तव में काम करने वाले लोग थे – NIFINDIA में या ज्ञान में – सब छोड़ कर जा लिए ! क्यूंकि NIFINDIA में तो एक ही इंसान काफी है काम करने को – प्रोफ़ेसर साहेब !
मैं सन 2000 का जूडा आविष्कारक आज 12 साल बाद भी अगर दाल रोटी को मरहूम है – और मेरे आविष्कारों की तमाम फाइलें दबा दी गयी हैं तो इक लाइन याद आती है ----   “ मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है , क्या मेरे हक में फेसला देगा “
आपका घास फूस के लेवल वाला

अगस्त्य 

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